Wednesday, November 6, 2013

आँखों में पानी अब ठहरता नहीं

कितना छुपाऊ  दर्द को
आँखों में पानी अब ठहरता नहीं

साँसों कि दिल को खबर  नहीं
 तुझे  भूलकर भी अब जीवन संबरता नहीं

मन से निकाल भी दूं तुझ को
पर यादों का सफ़र कभी गुज़रता नहीं

क्यों कर बैठा तू मोहब्बत अंजान
पता था इसमें डूबने वाला कभी उभरता नहीं

                                                   -अंजान

मोहब्बत क्या है


तेरी बाँहों में जब सिमट रही थी
तब जाना मोहब्बत क्या है
शर्म से जब मिट रही थी
तब जाना निगाहों का जादू क्या है
खुशियां जब समेट रही थी
तब जाना आँचल का गीला होना क्या है
चूमा था जब हथेलियों को
तब जाना प्यार कि संजीदगी क्या है

Saturday, September 21, 2013

इलज़ाम

मेरी मोहब्बत पर वो यू इलज़ाम लगा गए 
कि मेरी होठो पर और भी नाम है उनके नाम के सिवा दबे दबे से

Saturday, August 24, 2013

जाने कौन मुझे याद आ गया

जाने कौन मुझे याद आ गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

दर्द जो छुपा रखा था , जाने कौन कुरेद गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

मेरे दिल को पसंद थी तन्हाई 
दिल लगा के , जाने कौन जिन्दा मार गया 

एक आवाज़ है जो दिल को तड़पाती है 
फिर भी पागल हूँ सुनने को , जाने कौन दिल्लगी कर गया

न जाने क्या पाने को दिल करता है मेरा 
अशको से ग़मों को मिटो दिया था मैंने , जाने कौन फिर ख्यालों में आ गया 

जाने कौन मुझे याद आ गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

-अंजान

Saturday, August 3, 2013

जिस्म को इस कदर जला रहे हैं हम

जिस्म को इस कदर जला रहे हैं हम 
न जाने क्यों खुद को जहर पिला रहे  हैं हम 

जुस्तजू  जिसकी थी वो मिला न हमे 
फिर भी उसको हर पल क्यों पुकार रहे हैं हम 

जिंदगी किस मोड़ पे खड़ा कर दिया हमे 
अपने ही सवालों  में उलझ रहे हैं हम 

तेरा गुहां बचाने  के लिए 
अपने ही जिस्म पर बेवफा लिख रहे हैं हम 

आईना भी  देखकर हमे रो  पड़ा 
क्यों  आईने से भी चेहरा छुपा रहे हैं हम 
                                             -अंजान 

Friday, August 2, 2013

चिराग जला गए बुझे दिल में

चिराग जला गए बुझे दिल में 
रोशन कर गए दिल को , कुछ इस तरह 

जख्म देखकर रो पड़े
आँखों से मेरी अश्क ले उड़े, कुछ इस तरह 

आँखों के दरीचे से घुस कर
धडकनों में बस गया है कोई , कुछ इस तरह

हाथों में दामन थमा रहा है 
दिल में उतर रहा है कोई , कुछ इस तरह

shayari


इश्क में बिछड़ने का भी मज़ा आता है
टूटे दिल से भी कोई ऐसा मजाक करते हैं
                                           -अंजान

Monday, July 29, 2013

चिराग-ऐ-मोहब्बत

चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़ 
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता

सैलाब आ जाए सुनकर मोहब्बत के ढाई आखर 
वो प्यार, अब आँखों में नहीं दिखता 

दर्द - ऐ- मोहब्बत को जो ख़ुशी से पी गया 
ऐसा कोई राँझा, मजनू, अब नहीं दिखता 

तन्हाई बांटा करते थे नदी के तट पर बैठकर 
वो हंसो का जोड़ा अब नहीं दिखता

हर बार साहिल को चूम कर, दम तोड़ देती है
उस लहर के दर्द को , धडकनों में समेटता कोई नहीं दिखता

चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता
-अंजान

नारी

मैं दिल से निकली रागिनी हूँ,                                         

मैं ही प्यार की संगनी हूँ ।

मैं ममता की मूरत हूँ ,
मैं ही घर की सूरत हूँ ।

मैं चूड़ियों की खनखन हूँ ,
मैं ही पायलों की छनछन हूँ ।

मैं कवि की कविता हूँ ,
मैं ही बहती सरिता हूँ ।

मैं सहनशीलता हूँ ,
मैं ही समाज की विनम्रता हूँ ।

मैं शक्ति , मैं सिंह धारिणी हूँ
मैं ही जग की जननी हूँ

Thursday, July 18, 2013

यु मुझे प्यार से तुम न देखा करो

यु मुझे प्यार से तुम न देखा करो 
मैं कही तुम बिन, तनहा न महसूस करू
तुम मेरे ख्वाब में आया न करो 
जागकर नींद से रातभर दूंदता हूँ तुम्हे

Sunday, July 14, 2013

तनहाइयों के बादल फिर घिर आये हैं 
तेरे चले जाने से 
अब वक़्त नहीं गुजरता 
इन दीवारों को घूरने से 

छु लू अगर मैं कोई चीज़ 
फिर वो नहीं मिलती 
यह घर, घर नहीं लगता 
तेरे चले जाने से

Saturday, July 13, 2013

मैं कसमे नहीं खाता

कभी मुझसे तुम दूर नहीं जाना 
मैं कसमे नहीं खाता 
पर तुम्हे भूल नहीं पाता

मैं कुछ भी नहीं कहता 
तुम यह न समझाना 
तुम्हे प्यार नहीं करता

मैं कसमे नहीं खाता 
पर तुम्हे भूल नहीं पाता

तेरी याद आने पर मैं
कब कब नहीं रोया
मुझे याद नहीं आता

मैं कसमे नहीं खाता
पर तुम्हे भूल नहीं पाता

मैं जीते मर लूँगा

कह देना मुझे भूल जाओ
में कोिशश कर लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा 

तुझको में बदनाम न होने दूंगा 
सारे इलज़ाम मैं खुद पे लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा 

चैन से तुम सोना
मैं यादों से तेरी तोवा कर लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा

मुझको देखकर तुम आँखें फेर लेना
मैं यह दर्द सह लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा
                                       -अंजान

Tuesday, June 11, 2013

बालिका बधू

कली थी मैं फूल बनने से पहले क्यों मुरझा दिया
माँ मुझे क्यों बालिका बधू बना दिया 

क्या में आँगन में खेलती अच्छी नहीं लगती थी 
क्यों अपनी चिरिया को आँगन से उड़ा दिया 

माँ हम तुम तो संगी सहेली थे, सुख दुःख में साथी थे
एक ही क्षण में कैसे मुझे पराया बना दिया

नए घर में न जिद कर सकती हूँ , न हँस सकती हूँ , न खेल सकती हूँ
क्यों मेरा बचपन छीन लिया

जब मुझको पढना था , कुछ आगे बढना था
बालिका बधू बनाकर क्यों मेरे सपनो पर विराम लगा दिया

- अंजान
ब्लॉग: mycreation-ajnabi.blogspot.com

Thursday, June 6, 2013

संबेदना

माँ नहीं तो माँ के प्यार को रोता है
रक्षाबंदन पर बहिन के प्यार को तरसता है
इतनी अनमोल  हूँ अगर मैं
फिर क्यों मुझे जन्म लेने से रोकते हो
मुझे भी इस दुनिया मै कदम रख लेने दो

मुझको भी उड़ान भर लेने दो
कुछ दूर उड़ लेने दो
दो कदम मुझे भी बढ लेने दो
मुझे भी पढ लेने दो

कब तक भीड़ मै सहारा देखूंगी
मुझे भी आत्मनिर्भर बन लेने दो
मैं खुद को संभल सकती हूँ
एक बार मुझे घर से बहार निकलने दो

                             -अंजान

Monday, March 11, 2013

आरज़ू है तुझसे

ये हुस्न ,ये इश्क ,ये जिस्म 
तेरा दिल नसीं है 
पर मल्लिका -ए -मोहब्बत 
ये शहर तेरे लायक नहीं 

राह-ए -इश्क जो तूने दिखा दिया 
सोचने वालों की कमी नहीं 
कहीं तू तवायफ तो नहीं 

जनता हूँ छूते ही बिखर जाएगी तू 
मसीहा बनकर निकलेगा कोई घर से
ऐसी इस शहर के लोगो से उम्मीद तो नहीं
पर सहानुभूति दिखाने
हर कोई जुलूस निकालेगा सड़को पर
तेरे बिखरने ने के बाद

आरज़ू है तुझसे
चेहरे से नकाब न उठाना
गिद्ध जैसी नज़रों वाले
लोगो की इस शहर में कमीं नहीं
कहीं तू उनका शिकार तो नहीं

Tuesday, February 19, 2013

बात मिलने की थी ,इतनी बढ जाएगी मुझको खबर न थी


तुमसे एक बार मिलने की चाहत थी
 मुझको खबर न थी
तुमसे  मिलकर मेरी रातों की नींद उड़ जाएगी
बात मिलने की थी ,इतनी बढ जाएगी
 मुझको खबर न थी

जब मेरे नैनो ने , तेरे नैनो में झाँका था
तब तेरे नैनो ने भी मेरे नैनो में झाँका था
मुझको खबर न थी

 चाहे  तूने कुछ न  कहा था
पर तेरे दिल की  हर बात अक्षर अक्षर बन कर
मेरे जहन में उतर रही थी
मुझको खबर न थी

एक बिजली  सी कड़की थी
और तुम डर  से
तुम मेरी बाँहों में सिमट रही थी
मुझको खबर न थी

मेरी हर सांस में नाम भी तेरा है
धडकनों में अहसास भी तेरा है
मुझको खबर न थी

बात मिलने की थी अंजान ,इतनी बढ जाएगी
 मुझको खबर न थी
                -अंजान

Sunday, February 17, 2013

प्यार का जवाब

चलो मैंने कसम खा ली तेरे प्यार की
अब ला तारे आसमान से तोड़ के

अगर मेरा चेहरा चाँद में नज़र आता है
फिर क्यों मेरे घर रोज़ चला आता है

कसमे पूरी नहीं कर पाया तो मैं बेवफा हो गयी
क्यूँ नहीं किया था प्यार तूने संभल के

बहुत शराब पी ली तूने मेरी आँखों से
चल जा अब पैसे खर्च कर मैखाने में

और अगर मैं रहती हूँ हर वक़्त तेरे ख्वाओं में
तो क्या करेगा पाकर मुझे हकीकत में

Wednesday, January 30, 2013

मोहब्बत

सोचा न  जिनको ना जाने कैसे ख्यालो में  आ गए  
दूर से देखा था बस न जाने कैसे उनके  इतने करीब  आ गया 

तेरी ही तलाश में रहती हैं हर वक्त आँखें 
न जाने इन कदमो का रुख कब तेरी गली की तरफ हो गया 

सुना था अभी तक मोहब्बत काला  जादू करती है 
एक धुआं सा उठा और मैं मोहब्बत की गिरफ्त में आ गया 

अभी तक तनहा था , पर जिंदगी में गम न था अंजान 
फिर यह अचानक दिल में दर्द कहाँ से आ गया