Thursday, October 8, 2009

आंसू




बदनाम तो हम पहले भी थे


पर इतने न थे


तुमने जो इल्जाम लगाये


उसमे मिले गम भी कम न थे






साहिल पर बैठकर देखा था


रेत पर लिखे नामो को मिटते हुए


आज जो देखा मिटते हुए अपना नाम


आंखों से निकले आंसू भी कम न थे




बेवफा हम को कहके


आप ख़ुद को बचा गए


आज अकेले है हम लेकिन


दाग तेरे दमन में भी कम न थे