Thursday, April 23, 2020

क़ैद

घर मे क्या कैद हो गए हैं
कुछ बेचैन से हो रहे हैं
जिनके घरों के रोज़ टूटते थे शीशे
वो अंकल आंटी अब गली में क्रिकेट नही होता
इस बात को लेकर  बेचैन से हो रहे हैं
पड़ोसन आंटी चाय पत्ती माँगने नही आती
इस बात से भी हम बेचैन  से हो रहे हैं
कुछ देर घर मे भी टिक जाया कर कहते थे सब
अब पूरे दिन घर मे है
तो भी सब  बेचैन से हो रहे है
पड़ोस वाले अंकल की बगीया से चुरा लेते थे
कुछ गुलाब गर्लफ्रैंड के किये
आज गुलाब ही गुलाब खिले पड़े हैं
फिर भी वो  बेचैन  से हो रहे हैं
शोर शराबे के डर से डालियों पर बैठे रहते थे पंछी
आज खुले शांत आसमान में घूमने में बेचैन से हो रहे हैं
कुछ तो हुआ है मेरे देश की फिजां में
आदमी तो आदमी पशु पक्षी भी बेचैन से हो रहे है ।