Thursday, April 23, 2020

क़ैद

घर मे क्या कैद हो गए हैं
कुछ बेचैन से हो रहे हैं
जिनके घरों के रोज़ टूटते थे शीशे
वो अंकल आंटी अब गली में क्रिकेट नही होता
इस बात को लेकर  बेचैन से हो रहे हैं
पड़ोसन आंटी चाय पत्ती माँगने नही आती
इस बात से भी हम बेचैन  से हो रहे हैं
कुछ देर घर मे भी टिक जाया कर कहते थे सब
अब पूरे दिन घर मे है
तो भी सब  बेचैन से हो रहे है
पड़ोस वाले अंकल की बगीया से चुरा लेते थे
कुछ गुलाब गर्लफ्रैंड के किये
आज गुलाब ही गुलाब खिले पड़े हैं
फिर भी वो  बेचैन  से हो रहे हैं
शोर शराबे के डर से डालियों पर बैठे रहते थे पंछी
आज खुले शांत आसमान में घूमने में बेचैन से हो रहे हैं
कुछ तो हुआ है मेरे देश की फिजां में
आदमी तो आदमी पशु पक्षी भी बेचैन से हो रहे है ।

Tuesday, April 21, 2020

शोर

 प्यार में दिल टूटा भी करते है
मेरा भी टूट गया
दर्द इस बात का है
दिल के हर कोने में अंधेरा भी हो गया ।

किस मोड़ पर छोड़ गयी हो  मुझे
कोई रास्ता नज़र नहीं आता
मै भटका नहीं हूँ
लगता है मजनुओं जैसा हाल मेरा भी हो गया ।

एक शोर सा सुनाई देता है
लगता है कोई पुकारता है
पूछता हूँ तो लोग हँसते हैं
लगता है मुझे छोड़कर हर कोई बहरा भी हो गया।

क्या हक़ था तुमको
मेरे हिस्से की रोशनी बुझाने का
में तो सोचता ही रहा
और तुम्हारी जिंदगी में सवेरा भी हो गया ।



Wednesday, April 15, 2020

लॉक डाउन

लॉक डाउन में घर मे क़ैद तो हुए
पर बढ़ गयी संबंधनो में नज़दीकियां
शाम को आफिस वाली थकान महसूस नही होती
जबकि करता हूँ बच्चो के साथ पूरे दिन मस्तियाँ
पूरे दिन घर मे रहकर देखा
बिना उफ्फ किया कैसे संभालती है बीवी जिम्मेदारियां
कुछ हाथ बटा दिया मैंने भी
देखा कैसे छोटी छोटी चीजों से आ जाती हैं चेहरे पर खुशियां
जब देखता हूँ बचपन मे देखी फिर से रामायण
सोचता हूँ कितनी पाल रखी है हमने अपने अंदर खामियाँ
शुक्रिया करें इस लॉक डाउन का
जिसने सीखा दी जिंदगी जीने की बारीकियां
लॉक डाउन में घर मे क़ैद तो हुए
पर बढ़ गयी संबंधनो में नज़दीकियां
-अंजान "एक स्पर्श"

Tuesday, April 14, 2020

अधिकार

अंधकार को चीरकर
मै मसाल जलाऊंगा
साम दाम दंड भेद नीति से
मै अधिकार दिलाऊंगा
नही हो तुम भाग्यविधाता
मै तुमको जतलाऊंगा
तिलक लगाया है माथे पर
मै ही विजय पथ  सजाऊंगा
हर हर महादेव का नारा लगाकर
मै ही तांडव नृत्य दिखाऊंगा

गबरू

हर रोज़ चला आता है
गबरू बालकनी में बहाने जिम के
कुछ नशा सा हो गया है
मोहल्ले की भाभियों को कसम से
रोक लो इसको गजब हो जाएगा
भाभियों का सब्र टूट गया
तो समझो गदर छा जाएगा

लॉक डाउन

वो सब फ़नाह हो गए
जो बीवी की तस्वीर पर्स में लेकर घूमते थे
और हर बार पर्स निकालने पर
चूमते थे
आज बर्तन मांज रहे हैं
जानू  के एक इशारे पर
-अंजान

कोरोना

कोरोना

कभी सुनसान रास्तों को देखकर डर जाते थे
आज इंसान दिख जाए तो डर जाते हैं
हर जगह हर शक्स में कोरोना नज़र आता है
ऐसा कौन सा नगर है जहां बस
अमन नज़र आता है
नही देखना अगर दहशत भरा  मंजर
कुछ वक्त गुजार लो ऐ मेरे दोस्त
घर की दीवारों के अंदर
- अंजान