Sunday, June 13, 2010

तिनका


हर रोज गुजरता हूँ हसीनो की गली से
मेरी नज़र तेरे दर पर ही क्यों ठहर जाती है

एक रोज़ भी न सोचू जो तेरे बारे में
मेरी आंख क्यों भर आती है

अश्क बिखरते हैं जो ज़मी पर
तेरी तस्वीर ही क्यों नज़र आती हैं

जब भी तुम याद आते हो
मेरी तन्हाई न जाने क्यों रो जाती है

हाथों से छुपा लेते हैं चेहरा
आंख में तिनका होगा ये बात अब कही नहीं जाती