Sunday, July 14, 2013

तनहाइयों के बादल फिर घिर आये हैं 
तेरे चले जाने से 
अब वक़्त नहीं गुजरता 
इन दीवारों को घूरने से 

छु लू अगर मैं कोई चीज़ 
फिर वो नहीं मिलती 
यह घर, घर नहीं लगता 
तेरे चले जाने से