Tuesday, March 8, 2011

देख के आज मुझको शहर में

देख के आज मुझको शहर में
तेरे पैर के निचे से खिसकी जमीं सी क्यों है

नहीं रोते हो होके मुझसे जुदा
फिर तेरे शहर कि हवा मे नमी सी क्यों है

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
बरसो बाद भी यहाँ यादें थमी सी क्यों हैं

हर याद को समेट के फिर ले जाऊंगा
न जाने बरसो बाद भी दिल को तेरी कमी सी क्यों है