Wednesday, October 21, 2009

तू वीर है


बजुओ में जब बल है

किस्मत को क्यों कोसता है

हाथो की लकीरों को क्यो देखता है

कमजोर नही तू वीर है तू वीर है


तूफानों को चीरकर

मुसीबतों को पीछे छोड़ के

आगे निकल तू भीड़ से

कमजोर नही तू वीर है तू वीर है


हिम्मत दे जाए जवाब

लगे टूटता सा सपना

हौसला मत खोना अपना

कमजोर नही तू वीर है तू वीर है

आंख तेरी भर आएगी

सामने मंजिल जब पायेगा

तब तू सब से कह पायेगा

कमजोर नही में वीर हूँ में वीर हूँ

Sunday, October 11, 2009

बात जब की हैं

बूंदों ने था तुझको भिगोया
रोम रोम था तेरा खोया
बात जब की है
आंखों ने की थी शरारत
अदायों में थी हरारत
बात जब की है
पास था मैंने तुझको बुलाया
पलकों को था तुने झुकाया
बात जब की है
कुछ कहते कहते होठ चुप हो गए
ना जाने किस शर्म हया में तुम छुप गए थे
बात जब की है
आज फिर वोह मौसम आया है
जो ना में कह पाया था
बात जब की है
ना तुम कह पाये थे
क्या तुमने दिल में छुपाया था
बात जब की है
जब भी हम तनहा थे
आज भी तनहा है
सच आज भी है


Thursday, October 8, 2009

आंसू




बदनाम तो हम पहले भी थे


पर इतने न थे


तुमने जो इल्जाम लगाये


उसमे मिले गम भी कम न थे






साहिल पर बैठकर देखा था


रेत पर लिखे नामो को मिटते हुए


आज जो देखा मिटते हुए अपना नाम


आंखों से निकले आंसू भी कम न थे




बेवफा हम को कहके


आप ख़ुद को बचा गए


आज अकेले है हम लेकिन


दाग तेरे दमन में भी कम न थे