Monday, July 29, 2013

नारी

मैं दिल से निकली रागिनी हूँ,                                         

मैं ही प्यार की संगनी हूँ ।

मैं ममता की मूरत हूँ ,
मैं ही घर की सूरत हूँ ।

मैं चूड़ियों की खनखन हूँ ,
मैं ही पायलों की छनछन हूँ ।

मैं कवि की कविता हूँ ,
मैं ही बहती सरिता हूँ ।

मैं सहनशीलता हूँ ,
मैं ही समाज की विनम्रता हूँ ।

मैं शक्ति , मैं सिंह धारिणी हूँ
मैं ही जग की जननी हूँ

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