मैं दिल से निकली रागिनी हूँ,
मैं ही प्यार की संगनी हूँ ।
मैं ममता की मूरत हूँ ,
मैं ही घर की सूरत हूँ ।
मैं चूड़ियों की खनखन हूँ ,
मैं ही पायलों की छनछन हूँ ।
मैं कवि की कविता हूँ ,
मैं ही बहती सरिता हूँ ।
मैं सहनशीलता हूँ ,
मैं ही समाज की विनम्रता हूँ ।
मैं शक्ति , मैं सिंह धारिणी हूँ
मैं ही जग की जननी हूँ
मैं ही प्यार की संगनी हूँ ।
मैं ममता की मूरत हूँ ,
मैं ही घर की सूरत हूँ ।
मैं चूड़ियों की खनखन हूँ ,
मैं ही पायलों की छनछन हूँ ।
मैं कवि की कविता हूँ ,
मैं ही बहती सरिता हूँ ।
मैं सहनशीलता हूँ ,
मैं ही समाज की विनम्रता हूँ ।
मैं शक्ति , मैं सिंह धारिणी हूँ
मैं ही जग की जननी हूँ
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