Thursday, June 6, 2013

संबेदना

माँ नहीं तो माँ के प्यार को रोता है
रक्षाबंदन पर बहिन के प्यार को तरसता है
इतनी अनमोल  हूँ अगर मैं
फिर क्यों मुझे जन्म लेने से रोकते हो
मुझे भी इस दुनिया मै कदम रख लेने दो

मुझको भी उड़ान भर लेने दो
कुछ दूर उड़ लेने दो
दो कदम मुझे भी बढ लेने दो
मुझे भी पढ लेने दो

कब तक भीड़ मै सहारा देखूंगी
मुझे भी आत्मनिर्भर बन लेने दो
मैं खुद को संभल सकती हूँ
एक बार मुझे घर से बहार निकलने दो

                             -अंजान