मन तो करुणा का प्याला है
फिर क्यों अहम पाला है
उतार दो ये बस्त्र
जो तुम्हारे मैले हैं
जब से असत्य अपनाया है
सोचो कितने कष्ट तुमने झेले हैं
उतार दो ये बस्त्र
जो तुम्हारे मैले हैं
क्रोध में तू क्या क्या उगल गया
प्रेम को न जाने क्यों निगल गया
उतार दो ये बस्त्र
जो तुम्हारे मैले हैं
फिर क्यों अहम पाला है
उतार दो ये बस्त्र
जो तुम्हारे मैले हैं
जब से असत्य अपनाया है
सोचो कितने कष्ट तुमने झेले हैं
उतार दो ये बस्त्र
जो तुम्हारे मैले हैं
क्रोध में तू क्या क्या उगल गया
प्रेम को न जाने क्यों निगल गया
उतार दो ये बस्त्र
जो तुम्हारे मैले हैं