Friday, December 2, 2011

अहसास


दोड़ पड़ता हूँ दरख्तों को हिलते हुए देख के
शायद मेरा महबूब इनके करीब से गुजरा होगा
दरख्तों की हवा में आज नमी सी जान पड़ती है
शायद कुछ वक़्त ठहर कर वो रोया होगा
हर शाख के पत्ते पर बूँद सी िदखाई देती है
मिट्टी में कहीं गुम ना हो जाए भीगी पलकों से निकले मोती
सोचकर हर दरख्त ने अपनी शाख को झुकाया होगा

Thursday, March 17, 2011

फूटपाथ

किसी और का गुस्सा उत्तरते देखा हैं
फूटपाथ पर उस गरीब को पिटते देखा है

सिसकियों में दर्द को छुपाते देखा है
फूटपाथ पर रोते उस गरीब को देखा है

पेट के लिए बचपन खोते देखा है
फूटपाथ पर सोते नन्ने हाथों की लकीरों को िमटते देखा है

बूढे माँ बाप के लिए खुद को बेचते देखा है
फूटपाथ पर लड़की की अस्मत को लूटते देखा है

कब तक यह सिलसिला चलेगा किसने देखा है
फूटपाथ पर हर चुनाब पर नेताओं को आश्वासन देते देखा है

Wednesday, March 9, 2011

देखी है लोगो में तेरे हुस्न की तलब


देखी है लोगो में तेरे हुस्न की तलब
शहर में आते ही रुख, तेरी गली की तरफ होगा

डरता हूँ होश आने पर क्या होगा
तेरे शहर का वीरान मैकदा चहक रहा होगा

हर कोई साकी से कह रहा होगा
कितनी रहम दिल है तू जरूर तेरे सीने में कभी दर्द रहा होगा

तू ही बता मेरे मर्ज़ का इलाज़ क्या होगा
क्योंकि सुबह होते ही फिर रुख उसकी गली की तरफ होगा

हर शाम जख्म लेके तेरे पास लौटते हैं
लेकिन कब तक तेरे आँचल में सर रख कर रोना होगा

भूल जा अंजान साकी का रहम ,उस गली का भ्रम
तोड़ दे ये सीलसीला हर जख्म,दर्द को वक्त से भरना होगा

Tuesday, March 8, 2011

देख के आज मुझको शहर में

देख के आज मुझको शहर में
तेरे पैर के निचे से खिसकी जमीं सी क्यों है

नहीं रोते हो होके मुझसे जुदा
फिर तेरे शहर कि हवा मे नमी सी क्यों है

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
बरसो बाद भी यहाँ यादें थमी सी क्यों हैं

हर याद को समेट के फिर ले जाऊंगा
न जाने बरसो बाद भी दिल को तेरी कमी सी क्यों है

Wednesday, February 23, 2011

याद

याद
यादों से तेरी कैसे लडेंगे
तुम ही कहो दूर तुम से कैसे रहेंगे
बंद आँखों से भी तुझे ही देखू
खोलू जो आँखें, न पा के तुझको
लोगो से पूछू
अभी अभी यहाँ महबूब था मेरा
मुझको बता दो कहा चला गया
बहुत सताती है यादें तेरी
यादो से कहता हूँ तुम हो बस मेरी
दिल कहता है यादो से इतना न मुझको सताओ
महबूब के साथ बीताया हर लम्हा मेरा वापस ले आओ
कितना तडपता हूँ कुछ तो तरस खाओ
मुझको जल्दी महबूब से मिलाओ .

Friday, January 7, 2011

शिकायत


गम है कोई तो मुझसे आकर शिकवा तो कर
य़ू छुप के आँशु तो न वहा

चुभ रहा क्या दिल में मुझसे आकर मश्बरा तो कर
य़ू चुप रह कर तो न सता

बहा रही हो क्यों आँशु मुझसे आकर दिल की बात तो कर
यू बंद पलकों के पीछे दर्द तो न छुपा

मेरी हर खता के लिए मुझसे आकर झगड़ा तो कर
य़ू पास रहकर दूरी का अहसास तो न करा