Wednesday, February 24, 2010

दीवानगी

यह तेरी ही दीवानगी है की में पागल होता जा रहा हूँ
वरना रास्ते में आये पत्थरों को फूल न समझ लेता
जो चोट लगती तो तेरे लिए ग़ज़ल बन के निकलती
और उन अल्फाजो की गूंज दूर फलक तक जाती
जब तक तेरी आँखों से दो बूँद न झलक जाती