Friday, May 8, 2020

पत्थर

कांटे भी लगेंगे छाले भी पड़ेंगे इन पैरों में
वक़्त लगेगा इस दर्द से निकलने में
सब्र रखना अपनी मोहब्बत में
वक़्त लगता  है पत्थरों को पिघलने में

Thursday, April 23, 2020

क़ैद

घर मे क्या कैद हो गए हैं
कुछ बेचैन से हो रहे हैं
जिनके घरों के रोज़ टूटते थे शीशे
वो अंकल आंटी अब गली में क्रिकेट नही होता
इस बात को लेकर  बेचैन से हो रहे हैं
पड़ोसन आंटी चाय पत्ती माँगने नही आती
इस बात से भी हम बेचैन  से हो रहे हैं
कुछ देर घर मे भी टिक जाया कर कहते थे सब
अब पूरे दिन घर मे है
तो भी सब  बेचैन से हो रहे है
पड़ोस वाले अंकल की बगीया से चुरा लेते थे
कुछ गुलाब गर्लफ्रैंड के किये
आज गुलाब ही गुलाब खिले पड़े हैं
फिर भी वो  बेचैन  से हो रहे हैं
शोर शराबे के डर से डालियों पर बैठे रहते थे पंछी
आज खुले शांत आसमान में घूमने में बेचैन से हो रहे हैं
कुछ तो हुआ है मेरे देश की फिजां में
आदमी तो आदमी पशु पक्षी भी बेचैन से हो रहे है ।

Tuesday, April 21, 2020

शोर

 प्यार में दिल टूटा भी करते है
मेरा भी टूट गया
दर्द इस बात का है
दिल के हर कोने में अंधेरा भी हो गया ।

किस मोड़ पर छोड़ गयी हो  मुझे
कोई रास्ता नज़र नहीं आता
मै भटका नहीं हूँ
लगता है मजनुओं जैसा हाल मेरा भी हो गया ।

एक शोर सा सुनाई देता है
लगता है कोई पुकारता है
पूछता हूँ तो लोग हँसते हैं
लगता है मुझे छोड़कर हर कोई बहरा भी हो गया।

क्या हक़ था तुमको
मेरे हिस्से की रोशनी बुझाने का
में तो सोचता ही रहा
और तुम्हारी जिंदगी में सवेरा भी हो गया ।



Wednesday, April 15, 2020

लॉक डाउन

लॉक डाउन में घर मे क़ैद तो हुए
पर बढ़ गयी संबंधनो में नज़दीकियां
शाम को आफिस वाली थकान महसूस नही होती
जबकि करता हूँ बच्चो के साथ पूरे दिन मस्तियाँ
पूरे दिन घर मे रहकर देखा
बिना उफ्फ किया कैसे संभालती है बीवी जिम्मेदारियां
कुछ हाथ बटा दिया मैंने भी
देखा कैसे छोटी छोटी चीजों से आ जाती हैं चेहरे पर खुशियां
जब देखता हूँ बचपन मे देखी फिर से रामायण
सोचता हूँ कितनी पाल रखी है हमने अपने अंदर खामियाँ
शुक्रिया करें इस लॉक डाउन का
जिसने सीखा दी जिंदगी जीने की बारीकियां
लॉक डाउन में घर मे क़ैद तो हुए
पर बढ़ गयी संबंधनो में नज़दीकियां
-अंजान "एक स्पर्श"

Tuesday, April 14, 2020

अधिकार

अंधकार को चीरकर
मै मसाल जलाऊंगा
साम दाम दंड भेद नीति से
मै अधिकार दिलाऊंगा
नही हो तुम भाग्यविधाता
मै तुमको जतलाऊंगा
तिलक लगाया है माथे पर
मै ही विजय पथ  सजाऊंगा
हर हर महादेव का नारा लगाकर
मै ही तांडव नृत्य दिखाऊंगा

गबरू

हर रोज़ चला आता है
गबरू बालकनी में बहाने जिम के
कुछ नशा सा हो गया है
मोहल्ले की भाभियों को कसम से
रोक लो इसको गजब हो जाएगा
भाभियों का सब्र टूट गया
तो समझो गदर छा जाएगा

लॉक डाउन

वो सब फ़नाह हो गए
जो बीवी की तस्वीर पर्स में लेकर घूमते थे
और हर बार पर्स निकालने पर
चूमते थे
आज बर्तन मांज रहे हैं
जानू  के एक इशारे पर
-अंजान

कोरोना

कोरोना

कभी सुनसान रास्तों को देखकर डर जाते थे
आज इंसान दिख जाए तो डर जाते हैं
हर जगह हर शक्स में कोरोना नज़र आता है
ऐसा कौन सा नगर है जहां बस
अमन नज़र आता है
नही देखना अगर दहशत भरा  मंजर
कुछ वक्त गुजार लो ऐ मेरे दोस्त
घर की दीवारों के अंदर
- अंजान

Saturday, December 28, 2019

डोनेट ण ऑवर

जगमग जगमग दीप जले
पग पग पर फूल खिले
जब जब कोई
डोनेट ण ऑवर करे
नयन मीनाक्षी में दिव्य ज्योति बसे
तो कैसे ना शिक्षा का प्रसार बढ़े
घर घर पहुंच जाए शिक्षा
जब जब कोई
डोनेट ण ऑवर करे
अगर हो मन में निष्ठा
न हो संकोच क्या होगी प्रतिष्ठा
नही मार्ग दुर्गम शिक्षा का
तो क्यों राह पकड़े
बच्चा भिक्षा का
जला दो हर कोने में चिंगारी
जब ज्ञान की आई है बारी
बस करना है छोटा सा काम

डोनेट ण ऑवर करे
डोनेट ण ऑवर करे
🙏🙏🙏🙏

जंगल की सफारी

चलो याद करते हैं
वो जंगल की सफ़ारी,
जंगल की सर्द हवा जैसे हो रही हो बर्फ़बारी ।
वो झरने की कलकल
 हिरण था कितना चंचल।
चलो याद करते हैं
वो जंगल की सफ़ारी
वो अंधेरे की दहशत,
शेर देखने का मक़सद ।
वो होटल की मस्ती,
रातभर जगाने की जबरदस्ती।
चलो याद करते हैं
वो जंगल की सफ़ारी
टट्रैवेलर्स में खेला डम्ब शरार्ड
वो हौज़ी का कार्ड
कितना मुश्किल था 27 नंबर काटने का इंतज़ार
वो अन्ताक्षरी में गलत गानों की झड़ी ।
चलो याद करते हैं
वो जंगल की सफ़ारी
सुबह की विलेज वॉक,
वो मस्ती भरी टॉक।
वो सेल्फी का शौक,
कर रहा था उस वक़्त को लॉक।
चलो याद करते हैं
वो जंगल की सफ़ारी
गिरिजा माता के दर्शन
से टूर बन गया था मनभावन
सबकी मनोकामना हो पूरी
चलो याद करते हैं
वो जंगल की सफ़ारी