Monday, July 29, 2013

चिराग-ऐ-मोहब्बत

चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़ 
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता

सैलाब आ जाए सुनकर मोहब्बत के ढाई आखर 
वो प्यार, अब आँखों में नहीं दिखता 

दर्द - ऐ- मोहब्बत को जो ख़ुशी से पी गया 
ऐसा कोई राँझा, मजनू, अब नहीं दिखता 

तन्हाई बांटा करते थे नदी के तट पर बैठकर 
वो हंसो का जोड़ा अब नहीं दिखता

हर बार साहिल को चूम कर, दम तोड़ देती है
उस लहर के दर्द को , धडकनों में समेटता कोई नहीं दिखता

चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता
-अंजान

नारी

मैं दिल से निकली रागिनी हूँ,                                         

मैं ही प्यार की संगनी हूँ ।

मैं ममता की मूरत हूँ ,
मैं ही घर की सूरत हूँ ।

मैं चूड़ियों की खनखन हूँ ,
मैं ही पायलों की छनछन हूँ ।

मैं कवि की कविता हूँ ,
मैं ही बहती सरिता हूँ ।

मैं सहनशीलता हूँ ,
मैं ही समाज की विनम्रता हूँ ।

मैं शक्ति , मैं सिंह धारिणी हूँ
मैं ही जग की जननी हूँ

Thursday, July 18, 2013

यु मुझे प्यार से तुम न देखा करो

यु मुझे प्यार से तुम न देखा करो 
मैं कही तुम बिन, तनहा न महसूस करू
तुम मेरे ख्वाब में आया न करो 
जागकर नींद से रातभर दूंदता हूँ तुम्हे

Sunday, July 14, 2013

तनहाइयों के बादल फिर घिर आये हैं 
तेरे चले जाने से 
अब वक़्त नहीं गुजरता 
इन दीवारों को घूरने से 

छु लू अगर मैं कोई चीज़ 
फिर वो नहीं मिलती 
यह घर, घर नहीं लगता 
तेरे चले जाने से

Saturday, July 13, 2013

मैं कसमे नहीं खाता

कभी मुझसे तुम दूर नहीं जाना 
मैं कसमे नहीं खाता 
पर तुम्हे भूल नहीं पाता

मैं कुछ भी नहीं कहता 
तुम यह न समझाना 
तुम्हे प्यार नहीं करता

मैं कसमे नहीं खाता 
पर तुम्हे भूल नहीं पाता

तेरी याद आने पर मैं
कब कब नहीं रोया
मुझे याद नहीं आता

मैं कसमे नहीं खाता
पर तुम्हे भूल नहीं पाता

मैं जीते मर लूँगा

कह देना मुझे भूल जाओ
में कोिशश कर लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा 

तुझको में बदनाम न होने दूंगा 
सारे इलज़ाम मैं खुद पे लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा 

चैन से तुम सोना
मैं यादों से तेरी तोवा कर लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा

मुझको देखकर तुम आँखें फेर लेना
मैं यह दर्द सह लूँगा
पर बेवफा न कहना मुझको
मैं जीते मर लूँगा
                                       -अंजान