Tuesday, June 29, 2010


जुल्को का अँधेरा करके
आँखों से मुझको पिला दे
मुझे तू शराबी बना दे
मुझे तू शराबी बना दे

आँखों से ऐसे झलके
मेरे होठों पे आ टपके
मुझे तू शराबी बना दे
मुझे तू शराबी बना दे

होठों को साकी बन जाने दे
आँखों का प्याला बह जाने दे
मुझे तू शराबी बना दे
मुझे तू शराबी बना दे

तेरे हाथ जोड़ता हूँ में
तेरे पाओ पकड़ता हूँ में
दिल में जो दर्द उठा है
उससे छुटकारा दिला दे
इतनी तू मुझको पिला दे
मुझे तू शराबी बना दे
मुझे तू शराबी बना दे

चिंगारी उठा दे सीने में
तेरा नाम रहे बस जिन्दा
बाकी सब कुछ जला दे
पर जुल्को का अँधेरा करके
आँखों से मुझको पिला दे
मुझे तू शराबी बना दे
मुझे तू शराबी बना दे

काँधे पे सर रखकर रोने दे
सारी रात तू मुझको पीने दे
मुझे तू शराबी बना दे
मुझे तू शराबी बना दे

Monday, June 14, 2010

निगाहें


खामोश निगाहें आज चुप्पी तोड़ ही बैठी
न जाने किस की याद में दरिया बहा बैठी

सुनकर कदमो की आहट उमड़ा ऐसा सैलाब
बेचैन निगाहें चेहरे का नकाब उड़ा बैठी

रात को निगाहें चाँद को देखने का गुनाह कर बैठी
कभी तो पास आयेगा इस इंतज़ार में नींदे गंवा बैठी

पलके झुका लेती हैं देखकर तुमको निगाहें
न जाने कब इजहारे मोहब्बत कर बैठी

खामोश निगाहें आज चुप्पी तोड़ ही बैठी
न जाने किस की याद में दरिया बहा बैठी

Sunday, June 13, 2010

तिनका


हर रोज गुजरता हूँ हसीनो की गली से
मेरी नज़र तेरे दर पर ही क्यों ठहर जाती है

एक रोज़ भी न सोचू जो तेरे बारे में
मेरी आंख क्यों भर आती है

अश्क बिखरते हैं जो ज़मी पर
तेरी तस्वीर ही क्यों नज़र आती हैं

जब भी तुम याद आते हो
मेरी तन्हाई न जाने क्यों रो जाती है

हाथों से छुपा लेते हैं चेहरा
आंख में तिनका होगा ये बात अब कही नहीं जाती

Monday, June 7, 2010

करीब


न जाने वो मेरे करीब कैसे आ गए
एक क्षण भी न लगा उनको दिल में समाने में

और भी तो थे ज़माने में
फिर मुझे ही क्यों खिंच लाये मैखाने में

इतना पिलाया हैं उन्होंने होठों से
की जाम झलकने लगा है इन आँखों से

खूबसूरत हो गया है मेरा हर एक पल
शायद इसलिए मज़ा आता है साकी तुझको पिलाने में

मोहब्बत ही बसी है हर जर्रे जर्रे में
दर्द ही पाया है हर बार उसे जलाने में

जिन झपकियों से दूर था तू "अंजान"
आज वही काम आ रही हैं तुझे सपने दिखाने में