Monday, January 25, 2010

चाहत



तेरी चाहत को छुपाने लगा हूं


न जाने क्यूँ लोगो से नज़रें चुराने लगा हूं


तेरी हर बात को भुलाने लगा हूँ


न जाने कब तेरा जिक्र झिड जाए


मैं तुझको बदनाम होने से बचाने लगा हूँ