Saturday, August 24, 2013

जाने कौन मुझे याद आ गया

जाने कौन मुझे याद आ गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

दर्द जो छुपा रखा था , जाने कौन कुरेद गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

मेरे दिल को पसंद थी तन्हाई 
दिल लगा के , जाने कौन जिन्दा मार गया 

एक आवाज़ है जो दिल को तड़पाती है 
फिर भी पागल हूँ सुनने को , जाने कौन दिल्लगी कर गया

न जाने क्या पाने को दिल करता है मेरा 
अशको से ग़मों को मिटो दिया था मैंने , जाने कौन फिर ख्यालों में आ गया 

जाने कौन मुझे याद आ गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

-अंजान

Saturday, August 3, 2013

जिस्म को इस कदर जला रहे हैं हम

जिस्म को इस कदर जला रहे हैं हम 
न जाने क्यों खुद को जहर पिला रहे  हैं हम 

जुस्तजू  जिसकी थी वो मिला न हमे 
फिर भी उसको हर पल क्यों पुकार रहे हैं हम 

जिंदगी किस मोड़ पे खड़ा कर दिया हमे 
अपने ही सवालों  में उलझ रहे हैं हम 

तेरा गुहां बचाने  के लिए 
अपने ही जिस्म पर बेवफा लिख रहे हैं हम 

आईना भी  देखकर हमे रो  पड़ा 
क्यों  आईने से भी चेहरा छुपा रहे हैं हम 
                                             -अंजान 

Friday, August 2, 2013

चिराग जला गए बुझे दिल में

चिराग जला गए बुझे दिल में 
रोशन कर गए दिल को , कुछ इस तरह 

जख्म देखकर रो पड़े
आँखों से मेरी अश्क ले उड़े, कुछ इस तरह 

आँखों के दरीचे से घुस कर
धडकनों में बस गया है कोई , कुछ इस तरह

हाथों में दामन थमा रहा है 
दिल में उतर रहा है कोई , कुछ इस तरह

shayari


इश्क में बिछड़ने का भी मज़ा आता है
टूटे दिल से भी कोई ऐसा मजाक करते हैं
                                           -अंजान