तेरी बाँहों में जब सिमट रही थी
तब जाना मोहब्बत क्या है
तब जाना मोहब्बत क्या है
शर्म से जब मिट रही थी
तब जाना निगाहों का जादू क्या है
तब जाना निगाहों का जादू क्या है
खुशियां जब समेट रही थी
तब जाना आँचल का गीला होना क्या है
तब जाना आँचल का गीला होना क्या है
चूमा था जब हथेलियों को
तब जाना प्यार कि संजीदगी क्या है
तब जाना प्यार कि संजीदगी क्या है
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