Wednesday, November 6, 2013

आँखों में पानी अब ठहरता नहीं

कितना छुपाऊ  दर्द को
आँखों में पानी अब ठहरता नहीं

साँसों कि दिल को खबर  नहीं
 तुझे  भूलकर भी अब जीवन संबरता नहीं

मन से निकाल भी दूं तुझ को
पर यादों का सफ़र कभी गुज़रता नहीं

क्यों कर बैठा तू मोहब्बत अंजान
पता था इसमें डूबने वाला कभी उभरता नहीं

                                                   -अंजान

मोहब्बत क्या है


तेरी बाँहों में जब सिमट रही थी
तब जाना मोहब्बत क्या है
शर्म से जब मिट रही थी
तब जाना निगाहों का जादू क्या है
खुशियां जब समेट रही थी
तब जाना आँचल का गीला होना क्या है
चूमा था जब हथेलियों को
तब जाना प्यार कि संजीदगी क्या है