Sunday, March 28, 2010

इंतज़ार


चेहरे से नकाब उठा के तो देख
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

बरसों गुजार दिए रोरो के तेरे प्यार में
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

सारी उम्र निकाल दी तन्हाई में
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

जहर भी पी गए अमृत समझकर तेरे इश्क के भ्रम में
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

एक नज़र घर की चौखट पर तो डाल
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

इतनी बेरुखी तो न कर तेरी एक झलक पाने को
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

बुझने नहीं दिया इश्क का चिराग कभी तो एहसास होगा
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में

मर भी गए तो फिर जन्म ले के आयेंगे
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में