Monday, January 23, 2017

रोशनी

गुलिस्तां काँटों से इतना भर गया है कि
मोहब्बत का हिसाब मांगने लगे हैं लोग
रोशनी से इस कदर डरने लगें हैं कि
अँधेरे में भी मुँह छुपा के निकलने लगे हैं लोग