Tuesday, February 19, 2013

बात मिलने की थी ,इतनी बढ जाएगी मुझको खबर न थी


तुमसे एक बार मिलने की चाहत थी
 मुझको खबर न थी
तुमसे  मिलकर मेरी रातों की नींद उड़ जाएगी
बात मिलने की थी ,इतनी बढ जाएगी
 मुझको खबर न थी

जब मेरे नैनो ने , तेरे नैनो में झाँका था
तब तेरे नैनो ने भी मेरे नैनो में झाँका था
मुझको खबर न थी

 चाहे  तूने कुछ न  कहा था
पर तेरे दिल की  हर बात अक्षर अक्षर बन कर
मेरे जहन में उतर रही थी
मुझको खबर न थी

एक बिजली  सी कड़की थी
और तुम डर  से
तुम मेरी बाँहों में सिमट रही थी
मुझको खबर न थी

मेरी हर सांस में नाम भी तेरा है
धडकनों में अहसास भी तेरा है
मुझको खबर न थी

बात मिलने की थी अंजान ,इतनी बढ जाएगी
 मुझको खबर न थी
                -अंजान