Monday, December 3, 2012

याद

बहुत याद करता हूँ मै तुमको कैसे कहूं
डर लगता है कही तुम रो न पड़ो

तुम क्या गए शहर छोड़कर


तुम क्या गए  शहर छोड़कर
अब यहाँ चाँद का निकलना नहीं होता
चांदनी नहीं होती अब इस शहर में
अब किसी शक्स का रात को घर से निकलना नहीं होता
फूल तो खिलते हैं हर रोज़ इस शहर में
पर उनकी खुशबुओं से अब यह शहर नहीं महकता
पंछी निकलते हैं हर रोज़ अपने घोसलों से
पर उनकी चहचहाहट से अब यह शहर नहीं चहकता
रात भर रोता है शहर , तेरी याद में
हर सुबह ही हवा में मैंने नमी को देखा है
ऐ मेरे दोस्त तुम क्या गए मुझे छोड़कर
मैंने इन आखों को पहली बार किसी का इंतज़ार करते देखा है 

Friday, November 30, 2012

याद


तुम तो मेरे पास नहीं हो फिर
कौन है जो मेरे दिल में
बिना दस्तक दिए चुप चाप चला आ रहा है
पूछा तो खुद को तेरी याद बता रहा है

हालात

बहुर गिरे हैं मेरे आंसू ऐसे-ही-तनहा 
पर हम किसी के गले लग कर न रोए |
तरस आता है उनको मेरे हालात  पर 
लोग कहते है छुप छुप के वो बहुत हैं रोए

धुँआ

आज चांदनी रात में 
हर तरफ धुँआ धुँआ है 
न जाने कितने आशिको के दिल जल रहे है
मुझे चाँद के साथ देखकर

Monday, July 16, 2012

मोहब्बत-ए-आशिक


तुम क्या गए हमको छोडकर
जीना मुहाल हो गया
दर्द –ए – दिल की दवा बनकर
लोगो की नसीहत आने  लगी
क्या पाया तुने मोहब्बत-ए-आशिक बनकर 
आपको हमसे शिकायत है 
की दर्द -ए-मोहब्बत हम नहीं जानते 
रूठने पर आपके हम 
मनाना नहीं जानते

संवर  जाएगी जिंदगी 
सिर्फ जिस्म के जिस्म से मिलने से 
यह जरूरी तो नहीं

फिर आँखों में मोहब्बत की नमी होगी 
बीते हुए मीठे लम्हों को 
तिनका तिनका करके जोडिए तो सही

फिर वही प्यार होगा .
फिर वही अहसास होगा 
एक रोज़ फिर तन्हाई  में
आँखों में आँखें  डाल कर तो देखिये 

नाराज़गी भरी आंधियां तो हर रोज़ आएँगी
मोहब्बत को परखने के लिए 
तनहा न समझना  कभी खुद को 
आंधियां खुद ब खुद लोट जाएँगी 
रूह के कांपने  से पहले 

Wednesday, June 27, 2012

क्या दीवारों को कभी चीखते हुए देखा है
खामोश  होकर बंद कमरे में बैठ कर तो देखिये

क्या रास्तो तो कभी चलते हुए देखा है
किसी की तलाश में घर से निकल कर तो देखिये

क्या अँधेरे को कभी डरते हुए देखा है
एक चिंगारी जला कर तो देखिये

क्या उदासी को कभी सहमते हुए देखा है
होंठो पर तबस्सुम ला कर तो देखिये

क्या खामोश निगाहों में सैलाब आते हुए देखा है
बिछड़े हुए को कभी मिला कर तो देखिये

Tuesday, April 24, 2012

romantic साँसे

क्यूँ लम्बी लम्बी साँसे भरते हो
आँखें बंद हो जाती है
धड़कन मेरी बढ जाती है
एक बेचैनी सी होती है
क्यों लम्बी लम्बी साँसे भरते हो
क्यों मुझको इतना तद्पाते हो
यह मीठा मीठा दर्द कहा से लाते हो
कोण हो तुम क्यूँ नहीं बतलाते हो
मैं परियों देश से आया हूँ
चाँद पर जाकर रहता हूँ
इन लम्बी लम्बी साँसों से तुमको बतलाने आया हूँ
तुम परियों की रानी हो
मैं तुमको लेने आया हूँ
बाहों में मेरी आ जाओ
आकार मुझ में मिल जाओ
इन  साँसों को तुम बंद करो
क्यों लम्बी लम्बी साँसे भरते हो
मुझ पर कुछ तो रहम करो
न जाने ऐसा क्या कर देते हो
क्यूँ मुझको इतना मदहोश कर देते हो
पागल से हो जाती हूँ
जब लम्बी लम्बी साँसे भरते हो

Monday, March 26, 2012

राजनेता (भ्रस्टाचार)

चेहरे पर नकाब लगा चूका हूँ मैं
राजनीति में उतर चूका हूँ मैं
झूठ,मक्कारी,आश्वासन जैसे हथियार साथ ले चला हूँ मैं
देश का राजनेता बन चूका हूँ मैं
किस कुर्सी पर बैठना है
यह हुनर सीख चूका हूँ मैं
संसद में हंगामा कर रहा हूँ मैं
कैसे उसको चलने नहीं देना यह सीख चूका हूँ मैं
आई.ए.एस ,पी.सी .एस को फटकार रहा हूँ मैं
लाल बत्ती लगाकर मंत्री बन गया हूँ मैं
अनपढ होकर देश चला रहा हूँ मैं
हर पांच सालो में पचास साल पीछे देश धकेल रहा हूँ मैं
चेहरे पर नकाब लगा चूका हूँ मैं
देश का राजनेता बन चूका हूँ मैं

लोरी

आँखों में आयी नििदया रानी
लेके सपनो का एक बगीचा
बगीचे बैठी हुई है परियों की रानी
बनाकर चंदा का पालना, सुलाया मेरे बेटे को
बनाकर तारों की डोरी ,झुलाया है मेरे बेटे को
रोने लगा तो चांदनी के आँचल से ढककर
दूध पिलाया परियों के रानी ने
आँखों में आयी नििदया रानी
सो जा मेरे बेटे सो जा मेरे बेटे