Saturday, August 24, 2013

जाने कौन मुझे याद आ गया

जाने कौन मुझे याद आ गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

दर्द जो छुपा रखा था , जाने कौन कुरेद गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

मेरे दिल को पसंद थी तन्हाई 
दिल लगा के , जाने कौन जिन्दा मार गया 

एक आवाज़ है जो दिल को तड़पाती है 
फिर भी पागल हूँ सुनने को , जाने कौन दिल्लगी कर गया

न जाने क्या पाने को दिल करता है मेरा 
अशको से ग़मों को मिटो दिया था मैंने , जाने कौन फिर ख्यालों में आ गया 

जाने कौन मुझे याद आ गया 
खामोश थी निगाहें , जाने कौन रुला गया 

-अंजान