चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता
सैलाब आ जाए सुनकर मोहब्बत के ढाई आखर
वो प्यार, अब आँखों में नहीं दिखता
दर्द - ऐ- मोहब्बत को जो ख़ुशी से पी गया
ऐसा कोई राँझा, मजनू, अब नहीं दिखता
तन्हाई बांटा करते थे नदी के तट पर बैठकर
वो हंसो का जोड़ा अब नहीं दिखता
हर बार साहिल को चूम कर, दम तोड़ देती है
उस लहर के दर्द को , धडकनों में समेटता कोई नहीं दिखता
चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता
-अंजान
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता
सैलाब आ जाए सुनकर मोहब्बत के ढाई आखर
वो प्यार, अब आँखों में नहीं दिखता
दर्द - ऐ- मोहब्बत को जो ख़ुशी से पी गया
ऐसा कोई राँझा, मजनू, अब नहीं दिखता
तन्हाई बांटा करते थे नदी के तट पर बैठकर
वो हंसो का जोड़ा अब नहीं दिखता
हर बार साहिल को चूम कर, दम तोड़ देती है
उस लहर के दर्द को , धडकनों में समेटता कोई नहीं दिखता
चिराग-ऐ-मोहब्बत तो जलते हैं हर रोज़
जाँ दे दे कोई , वो परवाना नहीं दिखता
-अंजान
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