Wednesday, March 18, 2009

जख्म



लिखना चाहता था प्रेम कहानी


पर दर्द बयाँ कर बैठा


बरसानी थी बादलों से बरसात


पर अश्क बहा बैठा





उसकी आंखों में एक चमक नज़र आती थी

जो उसकी खफा में वफ़ा दिखाती थी

कातिल हँसी उसकी फूल खिलाया करती थी

बस इसी तरह नज़रो में बसाया करती थी


हर रोज़ बेवफाई का जख्म दिया करती थी


शाम को जुल्फों के साये में मरहम लगाती थी


मेरी आँखों को बस वफ़ा नज़र आती थी



पर धोखा देती रही हर दफा तुझको ऐ अंजान

आलम यह है अब जाम भी पिया नही जाता

और उसके बिना जीया भी नही जाता

फर्क नज़र आता है उसके प्यार में


फ़िर क्यों बैठा अनजान उसके इंतज़ार में








विज्ञान




मास्टर जी कहते हैं
पढ़न है बस तुमको विज्ञान
वरना अधुरा है तुम्हारा ज्ञान
सिखा लो नुटन से
पडो विज्ञान पुरे मन से
नुटन की तरह करो विज्ञान का अध्यन
इसी बात पर हो गई मास्टर जी से अनबन
हमने कहा नुटन तो आलसी था
घर से भागकर पेड़ के नीचे सोता था
न जाने किन खायालोँ में खोया रहता था
मास्टर जी ने कहा चुप करो
नुटन ने बताया चीजे नीचे क्यों गिरती हैं
हमने कहा
उसने यह बताया सेब नीचे क्यों गिरता है
तब लोगो ने समझाया
उसको प्यार से बताया
सेब नही साडी चीजे नीचे गिरते हैं
मास्टर ने घूर के हमको देखा
गुरितवाकर्सन नही पड़ा
हमने कहा गुरु का आकर्सन
शाहरुख की मूवी में हूँ ना में देखा है
जिसमे सुस्मिता को देखकर शाहरुख
बार बार नीचे गिर जाया करता था
हमारा इतना कहना था
मास्टर जी का पारा ऊपर चड़ना था
एक प्रसन हम पर आना था
उससे पहले फ़िर वोह बोले
एडिशन की तरह पडो विज्ञान
जिसने जग में उजाला करके
किया नाम महान
अब बताओ तुम एक वैज्ञानिक का नाम
मैं बोला अमिताभ बच्चन
उसने बताया जिसकी बीबी गोरी
उसका बड़ा नाम है
कमरे में बिठा दो
आपके एडिशन का क्या काम है
वोह एडिशन से भी महान है

आहट


हर आहट पर मैं

आँखें बंद कर लेती हूँ

कही तुझे नज़र न लग जाए

रूह मिलने से पहले

वक्त


इससे पहले यह वक्त

रेत की तरह हाथ से फिसल जाए

आ मेरे महबूब

इन दूरियों को नजदीकियां बना ले

तड़प


वरसो से तड़प रही थी

किसी के इंतज़ार में

आज करार आया दिल को

उसे देखने के बाद

इंतज़ार


ठहरी हुई हैं मेरी आँखें
एक नज़र तुझे देखने के लिए
पत्थर न हो जाए कही
तेरे दीदार से पहले

ममता




जब में तीन साल का बच्चा था


माँ से आंख बचाकर भाग कर


रेत में खेला करता था


माँ की आवाज़ सुनकर


इधर उधर चुप जाया करता था


शाम को घर जाते वक्त


सोचकर माँ ठंडे पानी से निहलायेगी


थोड़ा डर जाया करता था


निहलाते -२ वो मुझ को डाटा करते थी


लेकिन मेरी चोट देखकर


उसकी आंख भर आया करती थी


और में उसके सीने से लगकर


तूतली जवान से कहता था


अब नही करूँगा और तंग


लेकिन सुलाना मुझे अपने संग


सुनकर माँ दिल भर आया करता था


लेकिन में अगले दिन फ़िर भाग जाया करता था


इसी तरह में उसको सताता था


जब में तीन साल का बच्चा था


रेत में खेला करता था


रेत में खेला करता था


anjaan