Wednesday, October 15, 2025

शिकवा

 कर लो शिकवा, हम तो कब से इंतज़ार में बैठे हैं,

बस प्यार का यही हुनर तुमको नहीं आता।

समय पर पहुंच जाती हो हर वक्त,
तुमको लड़कों को परखना नहीं आता।

छूपा लेती हो मेरे हर एक ऐब को,
तुमको सुकून तलाशना भी नहीं आता।

मान लेती हो सच मेरे हर झूठ को,
तुमको लड़ना झगड़ना भी नहीं आता।

जानता हूँ कर सकती हो अपनी हर ख्वाहिश को पूरा,
तुमको मेरी जेब तलाशना नहीं आता।

हर जज्बात पढ़ लेती हो, "अंजान" की तन्हाई का,
कौन कहता है तुमको दिल की गहराई समझना नहीं आता।

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