Monday, April 5, 2010

अस्तित्व


ऐसा क्या हो गया है इंसां को
की अपने ही सुख में डूब गया है

उसके इर्द गिर्द और भी है दुनिया
क्यों उसको भूल गया है

प्यार , मोहब्बत, रिश्ते ,नातो को
क्यों पैसे से तोल रहा है

अगर पैसे से ही सुख है
फिर हर मोड़ पे रास्ता क्यों भूल रहा है

भूल रहा है जब चिल्ला रहा होगा अपने दुख से
लोग पागल कह के आगे निकल जायेंगे

जल रहा होगा जब घर
लोग हाथ सेंक कर आगे बढ जायेंगे

जल गया जब तेरा पैसा
अब दुनिया को पहचान रहा है

राख बचेगी जब तन पर
अब अपना अस्तित्व दूंद रहा होगा

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