ऐसा क्या हो गया है इंसां को
की अपने ही सुख में डूब गया है
उसके इर्द गिर्द और भी है दुनिया
क्यों उसको भूल गया है
प्यार , मोहब्बत, रिश्ते ,नातो को
क्यों पैसे से तोल रहा है
अगर पैसे से ही सुख है
फिर हर मोड़ पे रास्ता क्यों भूल रहा है
भूल रहा है जब चिल्ला रहा होगा अपने दुख से
लोग पागल कह के आगे निकल जायेंगे
जल रहा होगा जब घर
लोग हाथ सेंक कर आगे बढ जायेंगे
जल गया जब तेरा पैसा
अब दुनिया को पहचान रहा है
राख बचेगी जब तन पर
अब अपना अस्तित्व दूंद रहा होगा
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