Monday, March 22, 2010

दीवाना


खंजर बन गया है तेरा मुस्कराना
जख्मी हो गया है तेरा हर दीवाना

चाँद लगने लगा है तेरा चेहरा
शायर हो गया है तेरा हर दीवाना

आँखों से जो पिलाने लगे हो
शराबी हो गया है तेरा हर दीवाना

होठ तेरे जो कमाल से खिले हैं
भंवरा बन है तेरा हर दीवाना

सपनो में जो आने लगे हो
“सुनसान है गालियाँ” सो गया हिया तेरा हर दीवाना

खंजर बन गया है तेरा मुस्कराना
जख्मी हो गया है तेरा हर दीवाना

No comments: