Wednesday, March 18, 2009

जख्म



लिखना चाहता था प्रेम कहानी


पर दर्द बयाँ कर बैठा


बरसानी थी बादलों से बरसात


पर अश्क बहा बैठा





उसकी आंखों में एक चमक नज़र आती थी

जो उसकी खफा में वफ़ा दिखाती थी

कातिल हँसी उसकी फूल खिलाया करती थी

बस इसी तरह नज़रो में बसाया करती थी


हर रोज़ बेवफाई का जख्म दिया करती थी


शाम को जुल्फों के साये में मरहम लगाती थी


मेरी आँखों को बस वफ़ा नज़र आती थी



पर धोखा देती रही हर दफा तुझको ऐ अंजान

आलम यह है अब जाम भी पिया नही जाता

और उसके बिना जीया भी नही जाता

फर्क नज़र आता है उसके प्यार में


फ़िर क्यों बैठा अनजान उसके इंतज़ार में








7 comments:

डा ’मणि said...

बहुत बहुत बधाई और ढेर स्वागत

सूरज पे नहीं चांद पे , तारे पे नहीं है
चौखट पे किसी या किसी द्वारे पे नही है
है अपने बाजुओं पे , भरोसा बहुत मुझे
मेरी नजर किसी के , सहारे पे नही है


डा. उदय मणि
http://mainsamayhun.blogspot.com

अभिषेक मिश्र said...

Sundar rachna, Swagat.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

स्वागत है आपका, ऐसे ही लिखते रहिये. धनयवाद.

तरक्की की राह में हम चलते जायें
शर्त ये के पहले नफरतों को मिटायें
अमन, चैन, खुशहाली सब मुमकिन है
तीरगी मिटायें, शम्मां मुहब्बत का जलायें

- सुलभ जायसवाल ( यादों का इंद्रजाल )

gazalkbahane said...

भई मान गये आपकी उडान को आम तौर पर लोग ब्लॉग पर केवल अच्छा ,बहुत अच्छा,सुन्दर,बधाई लिख कर खुश करते हैं ,ब्लॉग पर सुझाव देना नाराजगी मोल लेना होता है।पर क्या करूं आदत से मजबूर लीजियेमैं ऐसा नही करता आप भी ऐसा न करने वाले ब्लॉगर बने। आप गज़ल छंद सीखें और पसन्द आएंगी आप की रचनायें।हां ब्लॉगिंग पर स्वागत तो है ही वरना क्यों लिखता यह टिपण्णी।अभिनव प्रथम कदम पर बधाई
अगर कविता या गज़ल में रुचि हो तो मेरे ब्लॉग पर आएं
http://gazalkbahane.blogspot.com/
http:/katha-kavita.blogspot.com
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम’
और यह word vari.हटा दें ज्यादा टिपण्णियामं आएंगी

दिगम्बर नासवा said...

धोखा देती रही हर दफा तुझको ऐ अंजान
आलम यह है अब जाम भी पिया नही जाता
और उसके बिना जीया भी नही जाता

अक्सर ऐसा ही होता है.......प्रेम कहानी लिखते लिखते इंसान अपना दर्द बयान कर देता है.
लिखते रहें....लिखने से गहराई अति जाती है

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bhav purn likhate ho bhai, narayan narayan

रवीन्द्र प्रभात said...

चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .नियमित लिखते रहें इससे संवाद-संपर्क बना रहता है , ढेर सारी शुभकामनाएं !