Wednesday, October 15, 2025

नज़र

तबियत ठीक नहीं है मेरी, मुझे नज़र लगी है,
बताओ, मेरे बारे में कहाँ-कहाँ बात की है?

हिचकियाँ थमती ही नहीं, कोई तो महफ़िल सज़ी है,
बताओ, मेरा नाम लेकर कितनी दफ़ा बात की है?

क्यूँ हर मोड़ पर तुमने मेरी यादों को बसाया है,
किस-किस से तुमने अपने दिल की बात कही है?

गुज़रा मत करो उन राहों से,
जहाँ ठहर कर तुमने कभी मेरी बात की।

उठ जाया करो उस महफ़िल से जब मेरा नाम आए,
नज़र लग जाती है मुझको — कितनी बार ये बात कही है।

तबियत ठीक नहीं है मेरी, मुझे नज़र लगी है,
बताओ, मेरे बारे में कहाँ-कहाँ बात की है
-anjaan

शिकवा

 कर लो शिकवा, हम तो कब से इंतज़ार में बैठे हैं,

बस प्यार का यही हुनर तुमको नहीं आता।

समय पर पहुंच जाती हो हर वक्त,
तुमको लड़कों को परखना नहीं आता।

छूपा लेती हो मेरे हर एक ऐब को,
तुमको सुकून तलाशना भी नहीं आता।

मान लेती हो सच मेरे हर झूठ को,
तुमको लड़ना झगड़ना भी नहीं आता।

जानता हूँ कर सकती हो अपनी हर ख्वाहिश को पूरा,
तुमको मेरी जेब तलाशना नहीं आता।

हर जज्बात पढ़ लेती हो, "अंजान" की तन्हाई का,
कौन कहता है तुमको दिल की गहराई समझना नहीं आता।