Monday, November 13, 2017
दरार
दरार न पड़े रिश्तो में
इसलिए मचाते आता हूँ
वर्ण मुझे भी नज़रे बचाकर
दबे पांव घर में घुसना आता है
अंजान
एक स्पर्श
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