कितना छुपाऊ दर्द को
आँखों में पानी अब ठहरता नहीं
साँसों कि दिल को खबर नहीं
तुझे भूलकर भी अब जीवन संबरता नहीं
मन से निकाल भी दूं तुझ को
पर यादों का सफ़र कभी गुज़रता नहीं
क्यों कर बैठा तू मोहब्बत अंजान
पता था इसमें डूबने वाला कभी उभरता नहीं
-अंजान
आँखों में पानी अब ठहरता नहीं
साँसों कि दिल को खबर नहीं
तुझे भूलकर भी अब जीवन संबरता नहीं
मन से निकाल भी दूं तुझ को
पर यादों का सफ़र कभी गुज़रता नहीं
क्यों कर बैठा तू मोहब्बत अंजान
पता था इसमें डूबने वाला कभी उभरता नहीं
-अंजान