देख के आज मुझको शहर में
तेरे पैर के निचे से खिसकी जमीं सी क्यों है
नहीं रोते हो होके मुझसे जुदा
फिर तेरे शहर कि हवा मे नमी सी क्यों है
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
बरसो बाद भी यहाँ यादें थमी सी क्यों हैं
हर याद को समेट के फिर ले जाऊंगा
न जाने बरसो बाद भी दिल को तेरी कमी सी क्यों है
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