चेहरे से नकाब उठा के तो देख
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
बरसों गुजार दिए रोरो के तेरे प्यार में
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
सारी उम्र निकाल दी तन्हाई में
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
जहर भी पी गए अमृत समझकर तेरे इश्क के भ्रम में
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
एक नज़र घर की चौखट पर तो डाल
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
इतनी बेरुखी तो न कर तेरी एक झलक पाने को
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
बुझने नहीं दिया इश्क का चिराग कभी तो एहसास होगा
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
मर भी गए तो फिर जन्म ले के आयेंगे
की आज भी बैठा है कोई तेरे इंतज़ार में
No comments:
Post a Comment