इश्क़ में तन्हाईयाँ और बढ़ गयी
ये दीवारें बहरी क्या हो गयी।
अक्स नही दिखता अब दर्पण में
ये सोच मैली क्या हो गयी।
रौशन नही होती रात अब जुगनुओं से
घर मे चिरगों की कमी क्या हो गयी।
हिफाजत नही होती अब इश्क़ की
शहर में भेड़ियों की जमात क्या हो गयी।
ये दीवारें बहरी क्या हो गयी।
अक्स नही दिखता अब दर्पण में
ये सोच मैली क्या हो गयी।
रौशन नही होती रात अब जुगनुओं से
घर मे चिरगों की कमी क्या हो गयी।
हिफाजत नही होती अब इश्क़ की
शहर में भेड़ियों की जमात क्या हो गयी।