ये हुस्न ,ये इश्क ,ये जिस्म
तेरा दिल नसीं है
पर मल्लिका -ए -मोहब्बत
ये शहर तेरे लायक नहीं
राह-ए -इश्क जो तूने दिखा दिया
सोचने वालों की कमी नहीं
कहीं तू तवायफ तो नहीं
जनता हूँ छूते ही बिखर जाएगी तू
मसीहा बनकर निकलेगा कोई घर से
ऐसी इस शहर के लोगो से उम्मीद तो नहीं
पर सहानुभूति दिखाने
हर कोई जुलूस निकालेगा सड़को पर
तेरे बिखरने ने के बाद
आरज़ू है तुझसे
चेहरे से नकाब न उठाना
गिद्ध जैसी नज़रों वाले
लोगो की इस शहर में कमीं नहीं
कहीं तू उनका शिकार तो नहीं
तेरा दिल नसीं है
पर मल्लिका -ए -मोहब्बत
ये शहर तेरे लायक नहीं
राह-ए -इश्क जो तूने दिखा दिया
सोचने वालों की कमी नहीं
कहीं तू तवायफ तो नहीं
जनता हूँ छूते ही बिखर जाएगी तू
मसीहा बनकर निकलेगा कोई घर से
ऐसी इस शहर के लोगो से उम्मीद तो नहीं
पर सहानुभूति दिखाने
हर कोई जुलूस निकालेगा सड़को पर
तेरे बिखरने ने के बाद
आरज़ू है तुझसे
चेहरे से नकाब न उठाना
गिद्ध जैसी नज़रों वाले
लोगो की इस शहर में कमीं नहीं
कहीं तू उनका शिकार तो नहीं